दिशाहीन सम्बन्धों को चलो कोई दिशा दी जाये
चारों दिशाएं खुली हैं तुम जिस और कहो ले जायें
ये ना कहो कि वक्त पे छोड़ो जिधर बहेंगीं हवांए
अपने आप ही चलने लगेंगी उसी ओर नौकांए
हवा का क्या है ये तो अपना पलपल रुख बदलेगी
ऐसे में तो कभी इधर कभी उधर नाव चल देगी
तुम ही कहो किस तरह से फिर मिलना है हमें किनारा
मिला भी तो किस काम का, जब ये जन्म बीत गया सारा
मत खोलो तुम पाल, ना हों, जब तक अनूकूल हवायें
पर इतना तो तय हो , कि हम कौन दिशा अपनाये
धरे हाथ पे हाथ बैठना वक्त का बस करना इन्तज़ार
ये तो समझो लड़ने से फिर पहले ही गये बाज़ी हार
हाथ में हो पतवार और मन मे हो थोड़ी हिम्मत
जो भी मंजिल फिर चाहो, कश्ती खुद तुम को पहुंचाए
चारों दिशाएं खुली हैं तुम जिस और कहो ले जायें
ये ना कहो कि वक्त पे छोड़ो जिधर बहेंगीं हवांए
अपने आप ही चलने लगेंगी उसी ओर नौकांए
हवा का क्या है ये तो अपना पलपल रुख बदलेगी
ऐसे में तो कभी इधर कभी उधर नाव चल देगी
तुम ही कहो किस तरह से फिर मिलना है हमें किनारा
मिला भी तो किस काम का, जब ये जन्म बीत गया सारा
मत खोलो तुम पाल, ना हों, जब तक अनूकूल हवायें
पर इतना तो तय हो , कि हम कौन दिशा अपनाये
धरे हाथ पे हाथ बैठना वक्त का बस करना इन्तज़ार
ये तो समझो लड़ने से फिर पहले ही गये बाज़ी हार
हाथ में हो पतवार और मन मे हो थोड़ी हिम्मत
जो भी मंजिल फिर चाहो, कश्ती खुद तुम को पहुंचाए
5 comments:
बहुत सुंदर और अहसास को जगाती हुयी,
नज्म का उनवान(शीर्षक)सही कर लीजिये..
Rakshanda ji
आप्का बहुत बहुत शुक्रिया नज्म को पस्न्द करने के लिये
शीर्षक मे गल्ती ठीक कर दी है आप्का धन्यवाद इस और धयान दिलाने के लिये
''दिशाहीन सम्बन्धो को चलो कोई दिशा दी जाये"
बहुत सुंदर
Alpanaa ji
aapkaa bahut bahut shukriyaa is rachanaa ko pasand karane ke liye. kripyaa blaag par aate rahe yakeen maniye achchhaa lagaega. kabhi kabhi to aapki nayaab TippNii kaa intajaar bhii rahtaa hai
Alpanaa ji
aapkaa bahut bahut shukriyaa is rachanaa ko pasand karane ke liye. kripyaa blaag par aate rahe yakeen maniye achchhaa lagaega. kabhi kabhi to aapki nayaab TippNii kaa intajaar bhii rahtaa hai
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