प्यार इकतरफा कब तक करेंगें भला
प्यार वो भी तो आके जतायें हमे
करना है तो करें कोई हम पे करम
झूठे वादों से वो ना बहलायें हमें
हमको मालूम है,जब कहानी का अन्त
झूठे सपने कोई क्यों दिखाये हमें
प्यार करने को जो मन नहीं,ना सही
झूठी मजबूरीयां ना बताये हमें
दिल से लिखी है मैने कविता तो फिर
उसपे कुछ तो असर नजर आये हमें
या कहे बात मेरी समझ सब गया
या कैसी लिखूँ गजल समझाये हमें
है कसम अब कविता ना लिखेंगें हम
जबतक 'वो' लिखने को कह ना जाये हमें
प्यार वो भी तो आके जतायें हमे
करना है तो करें कोई हम पे करम
झूठे वादों से वो ना बहलायें हमें
हमको मालूम है,जब कहानी का अन्त
झूठे सपने कोई क्यों दिखाये हमें
प्यार करने को जो मन नहीं,ना सही
झूठी मजबूरीयां ना बताये हमें
दिल से लिखी है मैने कविता तो फिर
उसपे कुछ तो असर नजर आये हमें
या कहे बात मेरी समझ सब गया
या कैसी लिखूँ गजल समझाये हमें
है कसम अब कविता ना लिखेंगें हम
जबतक 'वो' लिखने को कह ना जाये हमें
3 comments:
एक तरफा प्यार तो इबादत कहलाता है...
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है आप ने. बधाई.
नीरज
नीरज जी
पहले तो ये बताईये क्या हाल चाल है इतने दिन कहाँ रहे स्वस्थय कैसा है
यकीन मानिये आप की टिप्प्णियों के लिये हमारे दिल मे एक अलग ही स्थान है अक्सर नही तो कभी कभी हि सही आते रहा कीजिये
धन्यवाद गजल को पसन्द करने के लिये
प्यार करने को जो मन नहीं,ना सही
झूठी मजबूरीयां ना बताये हमें
sahi farmaya apney.....aksar log jhooti majburiyo kechadder odhe door bahgtey hai
Post a Comment