Sunday, April 20, 2008

कौन चाहता है किसी को सिर्फ चाहने के लिये

देने को तो जान तक दे दूँ , पर दूँ किसके लिये।
कौन जिन्दा है बता इस दुनियां मे मेरे लिये।
 सब को अपनी है पड़ी , अपने मे ही सब व्यस्त है।
 वक्त बचता है कहाँ कोई सोचे कुछ मेरे लिये॥
 उसे अपना पेट भरने से फुर्सत मिले तो सोचे वो
 मेरा पेट खाली रह गया, पेट उसका भरने के लिये
 वो ये तो चाहता है कि, दूजा जान दे उसके लिये
पर अपनी जान रखता है, संभाल के खुद के लिये
 मै तो तन मन धन लुटाने, आया था तेरे द्वार पर
 तुमने ही दिल के द्वार तक , खोले नही मेरे लिये
 किसने कहा तुम दिल में अपने रखो हमको उम्र भर
मेहमाँ समझ तो रहने देते, एक दो दिन के लिये
 धन की चाहत ने है हर चाहत को पीछे छोड़ डाला
 अब कौन चाहता है किसी को सिर्फ चाहने के लिये

2 comments:

Alpana Verma said...

seedhee sadi rachna magar bhaavon ko vyakt karti hui.

Krishan lal "krishan" said...

अल्पना वर्मा जी
बहुत बहुत शुक्रिया एक अच्छी एव विशलेषाणात्मक टिप्पणी के लिये