Friday, November 21, 2008

सब के सब व्यापारी हो गये प्यार रहा ना जमाने मॆ

सब ने दाम लगा रखे हॆं प्यार किसीसे निभाने के
 सबके सब व्यापारी हो गये प्यार रहा ना जमाने में
 प्यार किसीका पाकर भी खुशी किसी को कॆसे हो
 उम्र गुजर जाती हॆ महंगे प्यार का मोल चुकाने मे
 पहले लिख लेते थे गज़ले शेर य नज्मे मिन्टॊ मे
अब तो शब्द नहीं मिलते हॆं शब्दों भरे खज़ाने में
 तुमने लॊटाया प्यासा तो प्यासा ही मर जाउंगा
 सारी दुनिया छोड्के पहुंचा हूं तेरे मयखाने में
 भंवरा रस ले उडा फूल का जल मरा शमा पे परवाना
 फर्क बहुत होता हॆ यारो भंवरे ऒर परवाने मे
 कोई नहीं हॆ अपना मेरी मान किसी को ना आज़मा
 उम्र गंवा बॆठेगा सारी इक इक को आज़माने में
 कभी ठेस लगी तो पता चलेगा रिश्तों की मज़बूती का
 बिना ठेस तो शीशा भी सालॊं चलता हॆ जमाने में

1 comment:

"अर्श" said...

तुमने लॊटाया प्यासा तो प्यासा ही मर जाउंगा
सारी दुनिया छोड्के पहुंचा हूं तेरे मयखाने में

AAPKI GHAZALEN TO HAMESHA SE MUJE PASAND AAI HAI .. IS GHAZAL ME YE SHER TO KAHAR HAI ... MADHUSHALA KI YAD DILA DI YAHAN PE..

MAIN AAPSE YA PUCHANA CHAHUNGA KE KYA ISKE MATALE KA RADIF SAHI HAI .. KUKE KAL KE JANAB MERE BLOG PE ISI KE BARE ME CHARCHA KAR RAHE THE.. MERE BLOG PE AAPKA DHERO SWAGAT HAI...

REGARDS
ARSH