Saturday, April 25, 2009

हवाओ का रुख क्या बदला मौसम बदल गये

हवाओ का रुख क्या बदला मौसम बदल गये
खुशिया बदल गयी सब गम भी बदल गये
 बेवफाई,बेहयायी नहीं गालियां रही अब
 ये लफ्ज तरक्की के सान्चे मे ढल गये
हम जानते है हमदम तुम झूठ कह रहे हो
फिर भी बहलाया तूने और हम बहल गये
 मजबूरीयों को मेरी तुम बहादुरी ना समझो
 छोड़ा जो हाथ सब ने तो खुद संभल गये
ये कौन सी है मन्जिल सुनसान हर डगर है
 इस राह के मुसाफिर किधर निकल गये
मन्जिल की धुन मे सब ने क्यों होश खो दिये
 कब छूट गये साथी कब रस्ते बदल गये
दिल है तो धडकेगा भी है रोकना नामुमकिन
 क्यों खफा हो जानेमन जो अरमाँ मचल गये
 हुस्न की ये गलियों फिसलन भरी थी यारो
चले लाख हम संभल के फिर भी फिसल गये

No comments: