Wednesday, January 13, 2010

चन्द सिक्को की खातिर अपना यार बदल गया पाला

चन्द सिक्को की खातिर अपना यार बदल गया पाला
जपने लगा है अब तो वो किसी और के नाम के माला

 माली और सैयाद मे जिस को फर्क नजर नही आता
 दाना चुगते चुगते परिन्दा जाल में वो फस जाता

कान्टे के सग लगा केचुआ मछली गर खायेगी हो
कितनी होशियार वो मछली आखिर फस जायेगी

ये दुनिया है यहां शिकारी अक्सर रूप छुपाता
लक्ष्मण रेखा पार हुई तो सिया हरण हो जाता

अपने रिश्ते तय करने का सब को है अधिकार
पर वो रिश्ता क्या रखना जो जानदार ना शानदार

3 comments:

निर्मला कपिला said...

कान्टे के सग लगा केचुआ मछली गर खायेगी
हो कितनी होशियार वो मछली आखिर फस जायेगी

ये दुनिया है यहां शिकारी अक्सर रूप छुपाता
लक्ष्मण रेखा पार हुई तो सिया हरण हो जाता
वाह लाजवाब गज़ल है लोहडी की शुभकामनायें

RAJNISH PARIHAR said...

vwery good!!!!धन्यवाद और लोहडी की शुभकामनायें

Krishan lal "krishan" said...

suman ji ,nirmala ji aur rajnish ji aap sab ko dhanyavaad aur dheron shubh kamnaayen