Saturday, February 20, 2010

वो मेरे करीब इतना आई मै समझा सब कुछ सुलझ गया

जो होना था जो होता है आखिरकार तो वो ही हुआ
वो अपनी राह में चली गयी मै अपनी राह पे चता गया

कभी  उसने कहा था जो होगा दोनों ही मिलकर सुल्तेंगे
बिंदास जियो और खुल के जीयो हैं साथ तो सबसे निपटेंगे

वो मेरे करीब इतना आई मै समझा सब कुछ सुलझ गया
अहसास हुआ बेचारगी का जब देखा सब कुछ उलझ गया 

मैं और  तेरे साथ मुझे पागल समझा क्या  उसने कहा
ये तो सिर्फ मजाक था उसको मैंने क्यों सच मान लिया 

अपनी नजरो में  उसने इस हद तक मुझको  गिरा दिया
ना खुदा मिला ना यार मिला ना इधर का रहा ना उधर का रहा

1 comment:

संगीता पुरी said...

न इधर का रहा न उधर का रहा .. बहुत खूब !!