अपने उसूलो पे जी पाना इतना भी आसान नहीं
सबसे अलग पहचान बनाना इतना भी आसान नहीं
बनी बनाई राह पे चलना कौन काम है मुश्किल का
अपनी राहें खुद ही बनाना इतना भी आसान नहीं
जिसके मन सी नहीं कर सका वो ही हमसे दूर हो गया
सब के बीच तन्हा जी पाना इतना भी आसान नहीं
आप ही जगना आप ही सोना आप ओढ़ना आप बिछौना
आप ही पाना आप ही खोना आप ही हंसना आप ही रोना
हर आँसू को अकेले पीना तुम क्या जानो कितना मुश्किल
खुद को तसल्ली खुद दे पाना इतना भी आसान नहीं
पड़ी जरूरत मदद की जब भी खुद को दे आवाज बुलाया
खुद के लिये खुदा बन जाना इतना भी आसान नहीं
इसके ताने उसके उल्हाने कैसे सहे सब तूँ क्या जाने
पर लब पे तेरा नाम ना लाना इतना भी आसान नहीं
गम को छुपा औरो संग हंसना अपने आप मे है मुश्किल
पर अपने आँसू खुद से छुपाना इतना भी आसान नहीं
आँख छलक आई मेरी तो इतने क्यों हैरान हो तुम
इन्सां के लिये पत्थर बन जाना इतना भी आसान नहीं
सब के हाथों मे पत्थर है और निशाने पे मेरा दिल
ऐसे मे इस दिल को बचाना इतना भी आसान नहीं
सबसे अलग पहचान बनाना इतना भी आसान नहीं
बनी बनाई राह पे चलना कौन काम है मुश्किल का
अपनी राहें खुद ही बनाना इतना भी आसान नहीं
जिसके मन सी नहीं कर सका वो ही हमसे दूर हो गया
सब के बीच तन्हा जी पाना इतना भी आसान नहीं
आप ही जगना आप ही सोना आप ओढ़ना आप बिछौना
आप ही पाना आप ही खोना आप ही हंसना आप ही रोना
हर आँसू को अकेले पीना तुम क्या जानो कितना मुश्किल
खुद को तसल्ली खुद दे पाना इतना भी आसान नहीं
पड़ी जरूरत मदद की जब भी खुद को दे आवाज बुलाया
खुद के लिये खुदा बन जाना इतना भी आसान नहीं
इसके ताने उसके उल्हाने कैसे सहे सब तूँ क्या जाने
पर लब पे तेरा नाम ना लाना इतना भी आसान नहीं
गम को छुपा औरो संग हंसना अपने आप मे है मुश्किल
पर अपने आँसू खुद से छुपाना इतना भी आसान नहीं
आँख छलक आई मेरी तो इतने क्यों हैरान हो तुम
इन्सां के लिये पत्थर बन जाना इतना भी आसान नहीं
सब के हाथों मे पत्थर है और निशाने पे मेरा दिल
ऐसे मे इस दिल को बचाना इतना भी आसान नहीं
6 comments:
सुन्दर रचना है।
बनी बनाई राह पे चलना कौन काम है मुश्किल का
अपनी राहें खुद ही बनाना इतना भी आसान नहीं
परमजीत बाली जी
शुक्रिया रचना को पढ़ने और सरहाने के लिये
आपने बहुत सुन्दर व भावनापूर्ण रचना लिखी है ।
घुघूती बासूती
घुघूती बासूती जी
आपकी सुन्दर एवं भावपूर्ण टिप्पणी के लिये बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत बढिया सर जी दिल को छु लेने वाली रचना है
प्रशांत तिवारी जी
कोई रचना किसी के दिल को छू ले इस से बेहतर टिप्पणी रचनाकार के लिये क्या हो सकती है। वल्तुत: इस से आप की संवेदन शीलता का और सहृदयता का पता चलता है। आप का बहुत बहुत शुक्रिया
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