मेरी दुआओं का खुदा, इतना तो असर हो जाये
या उसे तकलीफ न हो, या मुझको खबर हो जाये
ना वो समझा है, ना समझेंगा जरूरत को मेरी मेरे खुदा,
कुछ ऐसा कर, मुझ को ही सब्र हो जाये
मेरी जरूरत जानकर, अन्जान बन रहा है आज
क्या पता लेकिन उसे, कल मेरी फिक्र हो जाये
तब यार की शर्मिन्दगी, मुझ से ना सही जायेगी
मेरी जरूरत यार बिन, तब तक ना पूरी हो जाए
पार उतरना उसका, मुश्किल भी है, ना मुमकिन भी है
है यार मेरा वो , जो पानी देख के भी डर जाए
मेरे खुदा आँखो पे उसके, बान्ध पटटी इस तरह
पानी जमींन सा दिखे, और पार वो उतर जाये
उसकी 'ना' सुनने की तो आदत रही है बरसों से अ
ब तो ये है फिक्र कि वो 'हां' कहीं ना कर जाये
मैं जानता हूँ 'वो' मेरा, हमसफर बनेगा जरूर
डर ये है तब तक कहीँ खत्म सफर ना हो जाये
या उसे तकलीफ न हो, या मुझको खबर हो जाये
ना वो समझा है, ना समझेंगा जरूरत को मेरी मेरे खुदा,
कुछ ऐसा कर, मुझ को ही सब्र हो जाये
मेरी जरूरत जानकर, अन्जान बन रहा है आज
क्या पता लेकिन उसे, कल मेरी फिक्र हो जाये
तब यार की शर्मिन्दगी, मुझ से ना सही जायेगी
मेरी जरूरत यार बिन, तब तक ना पूरी हो जाए
पार उतरना उसका, मुश्किल भी है, ना मुमकिन भी है
है यार मेरा वो , जो पानी देख के भी डर जाए
मेरे खुदा आँखो पे उसके, बान्ध पटटी इस तरह
पानी जमींन सा दिखे, और पार वो उतर जाये
उसकी 'ना' सुनने की तो आदत रही है बरसों से अ
ब तो ये है फिक्र कि वो 'हां' कहीं ना कर जाये
मैं जानता हूँ 'वो' मेरा, हमसफर बनेगा जरूर
डर ये है तब तक कहीँ खत्म सफर ना हो जाये
6 comments:
क्या लिखा किताबों में, उसकी तो तुम जानों। मैं तो वो कहता हूँ जो मैंने गुजारा है। इन्हें गीत, गज़ल, कविता जो चाहे तुम समझो। मैने तो, दिल का दर्द कागज़ पे उतारा है।
बहुत सुन्दर ख्याल और बहुत सुन्दर रचना है आपकी... गीत गजल कुछ भी हो जो दिल को छू जाये वही सफ़ल रचना है... बधाई... लिखते रहिये
अपने ब्लोग से वर्ड वेरीफ़िकेशन निकाल दीजिये इससे भी पाठक ब्लोग पर आना बन्द कर देते हैं..ैसे एक सुझाव मात्र समझें
बहुत ही खूबसूरत गज़ल है ।
मेरे खुदा आँखो पे उसके, बान्ध पटटी इस तरह
पानी जमींन सा दिखे, और पार वो उतर जाये
क्या दुआ है ! बधाई !
बहुत खूब.........
मोहिन्दर कुमार जी,
आप ने कहा और हमने तुरन्त मान लिया । लीजिये पाठको की सुविधा के लिये वर्ड़ वेरिफिकेशन निकाल दिया ह॥ अब तो आप ब्लाग पर बने रहियेगा सुझाव के लिये धन्य्वाद
रचना की प्रंशसा के लिये शुक्रिया।
शीमति आशा जोग्लेकर जी ,
आपने गजल के एक शेर की खास तारीफ की है आपका खास शुक्रिया। वैसे ये गजल कम और दिल के वास्तविक उदगार ज्यादा हैं इस उम्मीद मे कहा कि शायद खुदा सुन ही ले। आप की दुआ भी अपेक्षित है
अनुराधा शीवास्तव जी
आपका बहुत बहुत धन्यवाद्। आपके प्रशसा के ये दो शब्द मेरे लिये कुछ और बेहतर लिखने को प्रेरित करेंगें पुन: धन्यवाद
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