इक दिया बुझ जाये तो दूजा जलाना चाहिये
हर हाल अन्धेरा तुम्हे मन से भगाना चाहिये
तूँ खुशनसीब है तुम्हे जो छोड गया बेवफा
वैसे तो बेवफा से खुद पीछा छुडाना चाहिये
जुल्म करके तुम पे, कोई खुश रहे, होने ना दे
कोई सबक तो तुम्हे उसको सिखाना चाहिये
तूँ मेरा साथ दे ना दे लेकिन मै साथ हूं तेरे
इक इशारा तेरा मुझ तक पहुंच जाना चाहिये
मजिल अलग रस्ते जुदा पर ऐसा कुछ करे खुदा
हर मोड़ पे तेरा मेरा, रस्ता मिल जाना चाहिये
मन्जिल या रस्ता हो कोई बस तूँ हो मेरा हमसफर
इस नामुमिकन को तुझे मुमकिन बनाना चाहिये
गर तूँ नहीं है लाश तो कन्धो पे क्यों सवार है
अपना बोझ अपने ही, पैरों पे आना चाहिये
हर हाल अन्धेरा तुम्हे मन से भगाना चाहिये
तूँ खुशनसीब है तुम्हे जो छोड गया बेवफा
वैसे तो बेवफा से खुद पीछा छुडाना चाहिये
जुल्म करके तुम पे, कोई खुश रहे, होने ना दे
कोई सबक तो तुम्हे उसको सिखाना चाहिये
तूँ मेरा साथ दे ना दे लेकिन मै साथ हूं तेरे
इक इशारा तेरा मुझ तक पहुंच जाना चाहिये
मजिल अलग रस्ते जुदा पर ऐसा कुछ करे खुदा
हर मोड़ पे तेरा मेरा, रस्ता मिल जाना चाहिये
मन्जिल या रस्ता हो कोई बस तूँ हो मेरा हमसफर
इस नामुमिकन को तुझे मुमकिन बनाना चाहिये
गर तूँ नहीं है लाश तो कन्धो पे क्यों सवार है
अपना बोझ अपने ही, पैरों पे आना चाहिये
3 comments:
तूँ नहीं गर लाश तो कन्धो पे क्यों सवार है
अपना बोझ अपने ही पैरों पे आना चाहिये
बहुत ही बढ़िया सर जी
तूँ खुशनसीब है तुम्हे जो छोड गया बेवफा
वैसे तो बेवफा से खुद पीछा छुडाना चाहिये
ati utam......
वाह! बहुत बढिया लिखा है।
मजिल अलग रस्ते जुदा पर ऐसा कुछ करे खुदा
हर मोड़ तेरा और मेरा रस्ता मिल जाना चाहिये
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