Wednesday, March 19, 2008

जितनी भी होनी थी होली तुम संग होली होली

कभी खेला करते थे होली हम जिद्द करके सब से
जबसे हुआ बदरंग ये जीवन छुए नही रंग तब से
 यूँ तो होली खेलने साथी अब भी आ जाते हैं
 पर जीवन हो बदरंग तो फिर रंग कहां कोई भाते है
 तुमने 'जानू' कह कर मेरी जान ये क्या कर डाला
 रंगहीन जीवन में मेरे फिर से रंग भर डाला
 फिर से जगा दी सोई उमंगे तुमने बन हमजोली
मन मे हुडदंग मचा रही है अरमानो की टोली
 तुमने हम पे रंग डाल के कर तो दी शुरूआत
 अब देखना किन किन रंगो की होगी तुम पर बरसात
अंग अंग भीगे ना जब तक तब तक होगी होली
 अब ना बचेगी तेरी चुनरिया अब ना बचेगी चोली
 डरते डरते चुटकी भर रंग इक दुजे को लगाना
 मै ना मानू इस को होली मै ठहरा दिवाना
बस माथे गुलाल का टीका ये भी हुई कोई होली
ना रंगो से रंगी चुनरिया ना ही भीगी चोली
 होली मे भी सीमाओ का क्यो रखना अहसास
 भूखा ही मरना है तो फिर तोडना क्यों उपवास
 खेलनी है तो जम कर खेलो मस्ती भरी ये होली
 मातम की तरह ना मनाओ होली मेरे हमजोली
 होली को होली सा खेलो या रहने दो हमजोली
 जितनी भी होनी थी होली तुम संग होली होली

6 comments:

रवीन्द्र प्रभात said...

सुंदर अभिव्यक्ति , होली की बधाईयाँ !

Krishan lal "krishan" said...

Ravinder Prabhat ji

thanks for appreciating the poem and Happy Holi to you also

Keerti Vaidya said...

wah.....mein koi comment karney ke haal mein nahi hun......bhut he umda likhtey hai aap

wishing u a very colourful happy holi..

Krishan lal "krishan" said...

Kirti vaidya ji
समझ मे नही आ रहा कि अपनी खुशी और आपका धन्यवाद किन शब्दो मे व्यक्त करूँ
मैने बहुत जगह कविताये पढ़ी है और कई पुरस्कार जीतने का भी सौभाग्य मिला है तालियां भी बहुत सुनी है पर आप की इस भावपूर्ण टिप्प्णी के आगे सब गौण नजर आने लगे हैं। आपकी ये टिप्पणी मैं दिल मे संजो कर रखूंगा
होली की ढेरों शुभकामनाये। दो पक्तियों लिख रहा हूँ कृप्या इन्हे ही मेरी कृतज्ञता समझें
"खुदा करे कि अब की होली कुछ तो ऐसा कर जाये
जिस भी रंग की कमी हो तेरे जीवन में वो भर जाये"

Keerti Vaidya said...

sorry late ho gayi jawab deney mein.....

mere paas ko shabd nahi hai...bas itna kehna hai ke aap ashirwaad hamesha mere saath rahey...

good story said...

hey very good