Tuesday, April 22, 2008

तेरा नाम मरते दम मेरे लब पे आना है जरूर

अब इतना भी ना कीजीये, अपने हुस्न पे गरूर
चन्द हुस्न वाले हम पे भी थोड़ा तो मरते है हजूर

 महफिल में अपनी तारीफ से,इतना ना इतराईये
 कुछ लोग आईना जेब में, लेके चलते है हजूर

 करने को मुझको आपने, बेआबरू तो कर दिया
मेरे कसूर में मगर, शामिल था तेरा भी कसूर

 तुम्हे छोड़ इस जहाँ से रुखसत कैसे होगे क्या पता
 हर बार पलट आया, जब भी, दो कदम गया हूँ दूर

 आसमाँ पे चलने को, पाँव उठाना ये सोच कर
पैरों तले से जमीन भी, खिसक जाती है हजूर

 सब समझ जायेंगे मुझको किससे कितना प्यार था
 तेरा नाम मरते दम मेरे, लब पे आना है जरूर

14 comments:

Anonymous said...

zabardast sarkar, sach me bahut he sundar

Krishan lal "krishan" said...

taareef ke liye shukriyaa Shubhashish ji . Agar aap apanaa E mail ya blog address ya koii aur contact chhodate to behatar hotaa

Prabhakar Pandey said...

दमदार। अति सुंदर।

Krishan lal "krishan" said...

प्र्भाकर पाण्डेय जी
आपका बहुत बहुत शुक्रिया इतने खुले दिल से प्र्शंसा करने के लिये कृप्या ब्लाग पर आते रहिये अच्छा लगेगा पुन: धन्यवाद

Abhishek Ojha said...

महफिल में अपनी तारीफ से,इतना ना इतराईये
कुछ लोग आईना जेब में, लेके चलते है हजूर!

वाह क्या लाइन है... बहुत खूबसूरत

Krishan lal "krishan" said...

अभिषेक जी
आप ने खुले मन से गजल की तारीफ की आप का बहुत बहुत शुक्रिया । किसी विशेष शेर की तारीफ बताती है कि गजल आप ने कितने धयान से पढ़ी

आप यकीन माने तो कहूँ ये गजल (या इस गजल के कुछ शेर) मैने किसी ब्लागर विशेष को मधयनजर रखते हुये ही लिखी है

Manas Path said...

अच्छी गज़ल.

Alpana Verma said...

आसमाँ पे चलने को, पाँव उठाना ये सोच कर
पैरों तले से जमीन भी, खिसक जाती है हजूर

bahad umda sher!

Krishan lal "krishan" said...

atuul jii
aap kaa is blaag par hridaya se swaagat hai
aap ne gazal pasand kii shukriyaablaag par aate raheMge to achchhaa lageagaa

Krishan lal "krishan" said...

अल्पना वर्मा जी,

आप ने गज़ल को पसन्द किया बहुत बहुत शुक्रिया
जहा तक इस शेर की बात है एक बार इस से मिलता जुलता शेर मैने पहले् किसी वाद विवाद प्रतियोगिता मे बोला था और पुरुस्कार भी जीता था वाद विवाद का विष्य था 'आज की आर्थिक प्रगति मे आम आदमी का हित पीछे छूट रहा है' शेर यू था

इस तरक्की से हासिल तो कुछ भी नही
क्या हुआ गर तरक्की जो कुछ हो गयी
आप कहते रहो आसमाँ मिल गया
मै तो इतना कहुँगा जमी खो गयी

Keerti Vaidya said...

महफिल में अपनी तारीफ से,इतना ना इतराईये
कुछ लोग आईना जेब में, लेके चलते है हजूर!

Ine lines par khoob maza aya ....bahut umda likha hai

Krishan lal "krishan" said...

कीर्ति जी
आप की इस टिप्प्णी के जवाब मे मुझे कहना तो बहुत कुछ था पर डर लगता है आप कही नाराज ना हो जाये इस लिये अपनी भावनाओ को मार कर केवल धन्यवाद कह रहा हूँ
हाँ एक प्रार्थना जरूर है जब तक कोई रचना किसी पारखी के तराजु पर नही तुलती उसका सही वजन मालूम नही हो पाता इसलिये कृप्या टिप्प्णी कर दिया कीजिये चाहे एक दो शब्दों मे ही सही । बाकी जैसा आपको उचित लगे ।

Keerti Vaidya said...

Krishan Lal ji...aap dil khol kar baat kiya karey...mein naraz nahi hoti...plz

Krishan lal "krishan" said...

आश्वासन के लिये शुक्रिया कीर्ति जी क्या E मैल संभव है या टिप्प्णी दवारा ही