सूखी घास मे डाल दी ही तुमने जलती चिन्गारी
देखना अब ये गल्ती तुम पे पडेगी कितनी भारी
सोचा तुमने एक छोर को आग लगा मज़ा लोगे
और जरूरत पड़ी तो अपना छोर बचा तुम लोगे
पर आग लगी इस छोर तो अंतिम छोर तलक जायेगी
भडक गयी इक बार तो फिर नही रोके रुक पायेगी
शान्त तभी होगी ज्वाला जब जलेगी ढेरी सारी
देखना------
सीमाओ में बान्धे खडा है बान्ध ये पानी कब से
एक बून्द भी इधर से उधर हुआ नही ये तब से
तुम क्यों फिर बारूद लगा इस बान्ध को तोड रहे हो
पानी का रुख अपनी ओर ऐसे क्यों मोड़ रहे हो
ये नहर नही ना नदिया है जो सीमाये पह्चाने
टूटा बान्ध क्या क्या ले डूबे ये तू अभी क्या जाने \
अपने संग ये ले डूबेगा तेरी बस्ती सारी
देखना अब्…॥
धीरे धीरे हम तो प्रीत को तोड़ चुके थे सब से
प्रियतम से मिलने की आस को छोड चुके थे कब से
हम ने तो इस तन्हाई का गिला किया नही रब से
फिर कयों रब ने तुझे मिलाया छुड़ा के रिश्ता सब से
तुम ने जानू कह कर मेरी जान ये क्या कर डाला
बुझे हुये इस मन मे जगा दी फिर से प्रेम की ज्वाला
जाने कौन जादू की झप्पी तुमने हमको मारी
देखना अब ये गल्ती तुम पे पडेगी कितनी भारी
Posted by Krishan lal "krishan" at 18:20 0 comments
देखना अब ये गल्ती तुम पे पडेगी कितनी भारी
सोचा तुमने एक छोर को आग लगा मज़ा लोगे
और जरूरत पड़ी तो अपना छोर बचा तुम लोगे
पर आग लगी इस छोर तो अंतिम छोर तलक जायेगी
भडक गयी इक बार तो फिर नही रोके रुक पायेगी
शान्त तभी होगी ज्वाला जब जलेगी ढेरी सारी
देखना------
सीमाओ में बान्धे खडा है बान्ध ये पानी कब से
एक बून्द भी इधर से उधर हुआ नही ये तब से
तुम क्यों फिर बारूद लगा इस बान्ध को तोड रहे हो
पानी का रुख अपनी ओर ऐसे क्यों मोड़ रहे हो
ये नहर नही ना नदिया है जो सीमाये पह्चाने
टूटा बान्ध क्या क्या ले डूबे ये तू अभी क्या जाने \
अपने संग ये ले डूबेगा तेरी बस्ती सारी
देखना अब्…॥
धीरे धीरे हम तो प्रीत को तोड़ चुके थे सब से
प्रियतम से मिलने की आस को छोड चुके थे कब से
हम ने तो इस तन्हाई का गिला किया नही रब से
फिर कयों रब ने तुझे मिलाया छुड़ा के रिश्ता सब से
तुम ने जानू कह कर मेरी जान ये क्या कर डाला
बुझे हुये इस मन मे जगा दी फिर से प्रेम की ज्वाला
जाने कौन जादू की झप्पी तुमने हमको मारी
देखना अब ये गल्ती तुम पे पडेगी कितनी भारी
Posted by Krishan lal "krishan" at 18:20 0 comments
4 comments:
ati sunder ....
shukriya keerti ji
बहुत खूब भइ, आपने तो कमाल कर दिया। सारे शेर लाजवाब हैं। बधाई स्वीकारें।
ज़ाकिर अली जी
आपका बहुत बहुत शुक्रिया खुले दिल से गजल की प्रशंसा के लिये कृप्या ब्लाग पर आते रहें एवं अपना स्नेह बनाये रखें धन्यवाद
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