Tuesday, May 6, 2008

हाँ लेकिन ये सच है तुम से प्यार बहुत करता हूँ

नहीं कहा है, नहीं कहुगा, मैं तुम पे मरता हूँ
हाँ लेकिन ये सच है तुम से प्यार बहुत करता हूँ
 तेरे नयना अच्छे लगते, तेरा चेहरा मुझ को भाता
 तुझ से बात करूँ तो, मन को अजब सकूँ सा है मिल जाता
 जब भी दिल में दर्द उठा है, बस तेरी ही याद आई
खुदा की बारी भी ऐसे में, अकसर तेरे बाद आई
 जी करता है, सब को छोड़ कर, पास तेरे मै आ जाऊँ
या फिर पंख लगा, तेरे संग, दूर कहीं मै उड़ जाऊँ
 पर ये सब कैसे कर पाऊँ सैयाद से डरता हूँ
 हाँ फिर भी ये सच है तुम से प्यार बहुत करता हूँ
 सूरज की गर्मी का मारा ढूंढे हर कोई छाया
प्यास लगे तो कौन नही है पास कुँए के आया
 मै भी तुम तक आ पहुंचा चाहे तो प्यास बुझा दो
 या फिर तुम भी निष्ठुर होकर प्यासा ही लौटा दो
तुम चाहो तो हर सकती हो मेरे मन की पीर
चिड़ी  चोंच भर ले गयी नदी न घट्यो नीर
 जितना तुम मुझ को भाती हो, काश मै तुम को भाता
 तो फिर इस जग में जीने का, अर्थ मुझे मिल जाता
 बस, इतनी सी चाहत है, कहने से डरता हूँ डरता हूँ
 क्योंकि, मै तुम से प्यार बहुत करता हूँ

5 comments:

Udan Tashtari said...

बढ़िया है.

सुनीता शानू said...

जी करता है, सब को छोड़ कर, पास तेरे मै आ जाऊँ
या फिर पंख लगा, तेरे संग, दूर कहीं मै उड़ जाऊँ
सुन्दर पंक्तियाँ है...

Krishan lal "krishan" said...

समीर जी
शुक्रिया

Krishan lal "krishan" said...

समीर जी
शुक्रिया

Krishan lal "krishan" said...

सुनीता शानु जी
आप का बहुत शुक्रिया कुछ चुनिन्दा पक्तियो को पसन्द करने के लिये । सुनीता जी मैने एक बात अनुभव की है जब भी कोई बात सच्ची भावनाओ पर आधारित होती है उसका प्र्भाव कुछ अलग ही होता है।
पुन: धन्यवाद आपका ब्लाग पर आने का