जब दिल मे प्यार बचा ही नही इक बार में रिश्ता खत्म करो
बेजान हुए रिश्तों की लाश को मुझसे नहीं ढोया जाता
जब मन में कोई खुशी ना हो होंठों से हंस कर क्या हासिल
जब दिल में कोई दर्द ना हो आँखो से नही रोया जाता
तकलीफ मुझे पल पल दे कर तुमने चाहा हर खुशी मिले
अजी आम अगर खाने हों तो बबूल नहीं बोया जाता
इक इक रिश्ते के मरने पर इतना रोया कि मत पूछो
नही आँख मे आँसू बचा कोई अब मुझसे नहीं रोया जाता
है कौन सा दामन जिसमें कभी दाग कोई भी लगा ना हो
हर दाग के चक्कर में अपना दामन तो नहीं खोया जाता
और ये कौन तरीका ढूंढा है दामन से दाग छुडाने का
दागी दामन को गलियों में सरे आम नहीं धोया जाता
लूट हजारो और लाखों तू जो सैकड़ों बांटता फिरता है
यूँ पुण्य नहीं हासिल होता यूँ पाप नहीं धोया जाता
शीशे के घरों में रह्ते हो और पत्थर फैंकते हो मुझ पर
शुक्र करो मुझ से अपना कभी होश नहीं खोया जाता
उतना ना सही कुछ कम ही सही है अब भी माल तेरे घर में
ऐसे में खुले दरवाजे रख बेफिक्र नहीं सोया जाता
बेजान हुए रिश्तों की लाश को मुझसे नहीं ढोया जाता
जब मन में कोई खुशी ना हो होंठों से हंस कर क्या हासिल
जब दिल में कोई दर्द ना हो आँखो से नही रोया जाता
तकलीफ मुझे पल पल दे कर तुमने चाहा हर खुशी मिले
अजी आम अगर खाने हों तो बबूल नहीं बोया जाता
इक इक रिश्ते के मरने पर इतना रोया कि मत पूछो
नही आँख मे आँसू बचा कोई अब मुझसे नहीं रोया जाता
है कौन सा दामन जिसमें कभी दाग कोई भी लगा ना हो
हर दाग के चक्कर में अपना दामन तो नहीं खोया जाता
और ये कौन तरीका ढूंढा है दामन से दाग छुडाने का
दागी दामन को गलियों में सरे आम नहीं धोया जाता
लूट हजारो और लाखों तू जो सैकड़ों बांटता फिरता है
यूँ पुण्य नहीं हासिल होता यूँ पाप नहीं धोया जाता
शीशे के घरों में रह्ते हो और पत्थर फैंकते हो मुझ पर
शुक्र करो मुझ से अपना कभी होश नहीं खोया जाता
उतना ना सही कुछ कम ही सही है अब भी माल तेरे घर में
ऐसे में खुले दरवाजे रख बेफिक्र नहीं सोया जाता
2 comments:
अच्छी रचना है।
***राजीव रंजन प्रसाद
shukriya rajeev jii
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