बनती कहाँ है तुम बनाना चाहो जैसी जिन्दगानी
साजिशों का शिकार है बचपन बुढापा और जवानी
अन्त तो शुरूआत मे ही सोच कर चलते हैं सब
फिर उलझ जाती है आकर अन्त मे क्यों हर कहानी
क्या पता किस मोड पर आन्ख मेरी लग गयी
किरदार मनमाने हुये बदल गयी सारी कहानी
कौन जाने अब कहानी का होगा अन्जाम क्या
किरदार सारे लिख रहे अपना रोल अपनी कहानी
मै जानता हू तेरा ही किया कराया है सनम
फिर भी सुनना चाहता हूं तेरा जुर्म तेरी जबानी
परेशानियों ने जब कदम रखा घर की दहलीज पर
झाँकने खिडकी से बाहर लग गयी घर की जवानी
ये समझ वालो की नासमझी नही तो और क्या
जिन्दगी क्या है समझने मे गवाँ दी जिन्दगानी
उसकी इक इक बात पर बजती है सौ सौ तालिया
कामयाबी खुद सिखा देती है यूँ बाते बनानी
साजिशों का शिकार है बचपन बुढापा और जवानी
अन्त तो शुरूआत मे ही सोच कर चलते हैं सब
फिर उलझ जाती है आकर अन्त मे क्यों हर कहानी
क्या पता किस मोड पर आन्ख मेरी लग गयी
किरदार मनमाने हुये बदल गयी सारी कहानी
कौन जाने अब कहानी का होगा अन्जाम क्या
किरदार सारे लिख रहे अपना रोल अपनी कहानी
मै जानता हू तेरा ही किया कराया है सनम
फिर भी सुनना चाहता हूं तेरा जुर्म तेरी जबानी
परेशानियों ने जब कदम रखा घर की दहलीज पर
झाँकने खिडकी से बाहर लग गयी घर की जवानी
ये समझ वालो की नासमझी नही तो और क्या
जिन्दगी क्या है समझने मे गवाँ दी जिन्दगानी
उसकी इक इक बात पर बजती है सौ सौ तालिया
कामयाबी खुद सिखा देती है यूँ बाते बनानी
1 comment:
सच में इस जिंदगी को समझने के लिए एक जन्म काफी नहीं है....
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