Thursday, April 23, 2009

है आग वासना की मौका मिलते ही वो बुझायेगा

देखते है कौन कब तक चेहरा अपना छुपायेगा
परदो मे हो इक दिन सामने आ जायेगा
 रिश्ता भी झूठा है उसका प्यार भी झूठा सनम
 जो इसे सच मान लेगा वो बहुत पछतायेगा
 ये जो प्यार प्यार रटता फिर रहा है रात दिन
 है आग वासना की मौका मिलते ही वो बुझायेगा
 रिश्ता है खुदगरजी का प्यार का बस नाम है
 रावण है साधु वेष मे सीता हरण कर जायेगा
 बेसबब भटकेगा क्यों कोई शख्स तेरी राहों मे
माल भी तो वसूलेगा जब दाम कोई चुकायेगा
 ये और बात है निशाना किसका कब लग पायेगा
 मन्जिल है सब की एक रस्ते हों भले जुदा जुदा
सीधा कोई पहुंचेगा कोई घूम के वहां आयेगा