Friday, May 1, 2009

कुछ ये भी

ना बिन मागे मोती मिले ना मांगे से भीख
 कोई नहीं कुछ देता खीचना पडता है ये सीख

देने को तैयार सब तू जबतक कुछ ना ले
तुझ को जब लेना पडा कोई कुछ नही दे

ना पहले से यार हैं ना प्यार ना रिश्तेदार
अब तो सब करने लगे प्यार मे भी व्यापार

 जिसको तुझसे गरज़ है वही है तेरा यार
 अपनी गर्ज तक तेरे है यार या रिश्तेदार

 आज नही तो कल तुझे होना है अहसास
 श्वान समान है जिन्दगी नही जो पैसा पास

अपनी शराफत खुद रहा बार बार वो तोल
पगला ये नही जानता रहा ना इसका मोल

 प्यार निभाने का चला  अब तो ढग अनोखा
 हींग लगे ना फिटकरी रंग सब चाहे चोखा

 झूठे दावे प्यार के मतलबी रिश्ते खास
सब के मन मतलब छुपा बाकी सब बकवास

 शोख है पर पक्का नहीं रंग वफा का यार
 पहली धूप मे उडन छू पहली धुवन बेकार

मिले तो  गले लगाये है  बिछुडे नमस्कार
इससे ज्यादा आवभगत अब ना रखे यार

1 comment:

श्यामल सुमन said...

बहुत खूब।

जिस दिन से हो गई परायी रिश्ते की पहचान।
रोते रोते विदा हो गयी होठों से मुस्कान।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com