Monday, May 25, 2009

रुख जिन्दगी का तय यहाँ करता है हादसा

जीना भी हादसा, यहां, मरना भी हादसा
जो कुछ भी हो रहा यहाँ, सब कुछ है हादसा
इक हादसे से ही जन्म, तेरा मेरा हुआ
मर जायेंगें, जब और कोई होगा हादसा
तेरे मेरे वज़ूद की करता है बात क्या
दुनियाँ आई वज़ूद में, वो भी था हादसा
कोई हादसा हुआ तो तब जाकर पता चला
रुख़ ज़िन्दगी का तय यहाँ करता है हादसा
कुछ पा लिया तो अपने को काबिल समझ लिया
कुछ खो गया तो दोषी मुकद्दर बता दिया
क्यों मानता नहीं कि हैं दोनों ही हादसा
खोना जो हादसा है तो पाना भी हादसा
जो कुछ भी हो रहा यहाँ, सब कुछ है हादसा
ना कोई वफादार है, ना कोई बेवफा
जो कुछ हुआ, हालात का था तय किया हुआ
निभानी पड़े वफा, तो सब वफा के हैं खुदा
सच तो है बेवफाई का मौका कहाँ मिला
मौका मिला, वफा का मुखौटा उतर गया
चल पड़ा फिर बेवफाईयों का सिलसिला
की उसने बेवफाई दिया नाम हादसा
रुख जिन्दगी का तय यहाँ करता है हादसा

1 comment:

Udan Tashtari said...

बढ़िया!