Thursday, March 3, 2011

प्यार क्या होता है कोई सीखे मेरे यार से

आसमान छोटा पडेगा एक दिन तेरी परवाज़ को
बाहर निकल के देख पिंजरे की दरो दीवार से

कौन कहता है कि आंसू ही नसीब हैं इश्क का
 दामन भर भी सकता है खुशियों के अम्बार से

ना तो खुद तड़पो ना ही तडपाओ इन्तजार में
गर मज़ा है कुछ तो वो है असली वसले यार में

 शायद बुझती लौ की कोई आखिरी चमक है ये
 जो इश्क हमको हो चला है इक जवां दिलदार से

 हाँ छाछ के हम है जले दूध के ही जले नही
हर शै को पीना पड़ता है अब फूँक मार मार के

 पर प्यार क्या होता है कोई सीखे मेरे यार से
एक ही पल में पढ़ा दे सारे अक्षर प्यार के

उसके आने से महक उठता चहक उठता है घर
 कदमो में उसके रहते है सारे मौसम बहार के

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