बेवफाई और वफा मजबूरी हैं दोनों प्यार में
फिर काहे जतलाना किसी भी बात का बेकार में
आपने वादा किया आये नहीं तो क्या हुआ
कुछ दिन तो अच्छे कट गये यूँ तेरे इंतजार मे
मुझको है अहसास कि मिलने मे वो मज़ा कहाँ
जो मज़ा आता है अपने यार की इन्तजार मे
आप फिर वादा करो मै फिर करूँगा इन्तजार ये
उम्र सारी काट सकता हूँ तेरे इन्तजार में
जीवन है ऐसे मोड़ पे कोई साथ दे सकता नहीं
साया भी साथ छोड़ गया क्या गिला फिर यार से
यूँ भी हर वादा तो किसी का वफा होता नहीं
जो तुम ना पूरे कर सके वादे वो बस दो चार थे
तूँ है मेरा प्यार बेशक लाख तड़पाये मुझे
मैं खफा होता नहीं हरगिज भी अपने प्यार से
क्या पता मजबूरियां कितनी रहीं होंगी तेरी
यार यूँ ही बेवफाई क्यो करेगा यार से
फिर काहे जतलाना किसी भी बात का बेकार में
आपने वादा किया आये नहीं तो क्या हुआ
कुछ दिन तो अच्छे कट गये यूँ तेरे इंतजार मे
मुझको है अहसास कि मिलने मे वो मज़ा कहाँ
जो मज़ा आता है अपने यार की इन्तजार मे
आप फिर वादा करो मै फिर करूँगा इन्तजार ये
उम्र सारी काट सकता हूँ तेरे इन्तजार में
जीवन है ऐसे मोड़ पे कोई साथ दे सकता नहीं
साया भी साथ छोड़ गया क्या गिला फिर यार से
यूँ भी हर वादा तो किसी का वफा होता नहीं
जो तुम ना पूरे कर सके वादे वो बस दो चार थे
तूँ है मेरा प्यार बेशक लाख तड़पाये मुझे
मैं खफा होता नहीं हरगिज भी अपने प्यार से
क्या पता मजबूरियां कितनी रहीं होंगी तेरी
यार यूँ ही बेवफाई क्यो करेगा यार से
6 comments:
bahut hi badhiya
महक जी,
बहुत बहुत शुक्रिया। अगर आप ये सदेश पढ़े तो "होली" पर आप से एक अच्छी कविता की उम्मीद है काव्य प्ल्लवन मे भेजेंगें तो हम भी पढ़ कर आनन्द प्राप्त कर सकेंगे E मैल ना होने के कारण यहीं पर आप से अर्ज करना पड़ रहा है
बहुत बढिया सर जी दिल खुश हो गया
प्रशांत तिवारी जी
आप की टिप्प्णी पढ़कर मेरा भी दिल खुश हो गया
आपका बहुत बहुत शुक्रिया गजल को सरहाने के लिये
प्रशांत तिवारी जी
आप की टिप्प्णी पढ़कर मेरा भी दिल खुश हो गया
आपका बहुत बहुत शुक्रिया गजल को सरहाने के लिये
शानदार ग़ज़ल लिखी है. बधाई! डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
Post a Comment