Sunday, May 11, 2008

जब तक है जवानी चढी हुई चाहने वालो की कमी नही

अपनी तो इतनी चाहत थी कि हम को भी कोई चाह मिले
मंजिल मिले मिले न मिले पर चलने को कोई राह मिले
 प्यार में है गहराई बहुत लोगो से ही सुनते आये है
शायद तेरी नजरो मे मुझे इस सच की कोई थाह मिले
 कोई बात ना कर कभी साथ ना चल पर ये तो जरूरी नही सनम
तुम नजरे चुरा के ही निकलो जब कभी भी तुझ से निगाह मिले
 तेरी जुल्फों को सुलझांऊ मैं शायद ये ग्वारा हो ना तुम्हे
लेकिन उलझन कोई तेरी सुलझाने का मौका तो मिले
 है प्यार मेरे दिल मे इतना जिसका तुम को अहसास नही
 इक बार तो दिल मे झांक सनम क्या पता दावा सच्चा निकले
 तुम मेरा अकेलापन थोड़ा कम कर पाते तो बेहतर था
 यूँ अपना हो जाने का मौका फिर शायद मिले मिले ना मिले
 थोडा दूर दूर पर साथ साथ कुछ दूर तो चल ही सकते हैं
 जब तक तुझे तेरी राह मिले या जब तक मेरी साँस चले
 जब तक है जवानी चढी हुई चाहने वालो की कमी नही
लेकिन मुझ जैसा शौदाई इस जन्म मे तो शायद ही मिले
 नहीं प्यार अगर दिल मे तेरे इक बार इशारा कर दे मुझे है
खुदा कसम ये शख्स अगर तुझे दुनिया में दोबारा मिले

1 comment:

Udan Tashtari said...

बहुत खूब!