कोई प्यार कहे या वफा कहे जो चाहे रंग दे रिश्तों को
हर रग के पीछे छुपी हुई सच में तो कोई जरूरत है
तुम लाख किसी के अपने बनो कोई लाख कहे तुमको अपना
यहाँ अपना पराया कुछ भी नहीं जो कुछ है सिर्फ जरूरत है
वो शख्स कहां रहता अपना चाहे कितना भी अपना हो
जो पूरी नहीं कर पाता है जैसी जब हमें जरूरत है
दिन रात दुहाई देता है जिन रिश्तों में गहराई की
उतने गहरे रिश्ते हैं यहाँ बस जितनी गहरी जरूरत है
रिश्ता वो लम्बा चलता है कोई गरज सी जिसमें बनी रहे
ये गरज भी इतनी बुरी नहीं रिश्तों की ये पहली जरूरत है
कभी सोचा है तेरा मेरा रिश्ता अब तक क्यों कायम है
कुछ तेरी जरूरत है मुझ को कुछ मेरी तुझे जरूरत है
तुम्हे ठीक लगे तो आओ फिर नये रिश्ते का आगाज करें
तुम मेरी जरूरत को समझो मै समझूँ क्या तेरी जरूरत है
हर रग के पीछे छुपी हुई सच में तो कोई जरूरत है
तुम लाख किसी के अपने बनो कोई लाख कहे तुमको अपना
यहाँ अपना पराया कुछ भी नहीं जो कुछ है सिर्फ जरूरत है
वो शख्स कहां रहता अपना चाहे कितना भी अपना हो
जो पूरी नहीं कर पाता है जैसी जब हमें जरूरत है
दिन रात दुहाई देता है जिन रिश्तों में गहराई की
उतने गहरे रिश्ते हैं यहाँ बस जितनी गहरी जरूरत है
रिश्ता वो लम्बा चलता है कोई गरज सी जिसमें बनी रहे
ये गरज भी इतनी बुरी नहीं रिश्तों की ये पहली जरूरत है
कभी सोचा है तेरा मेरा रिश्ता अब तक क्यों कायम है
कुछ तेरी जरूरत है मुझ को कुछ मेरी तुझे जरूरत है
तुम्हे ठीक लगे तो आओ फिर नये रिश्ते का आगाज करें
तुम मेरी जरूरत को समझो मै समझूँ क्या तेरी जरूरत है
3 comments:
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
तुम लाख किसी के अपने बनो कोई लाख कहे तुमको अपना
यहाँ अपना पराया कुछ भी नहीं जो कुछ है सिर्फ जरूरत है
Kya khub likha h wah wah...
Kya khub likha h wah wah...
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