क्यों अपने रंग रूप का इतना तुझे गरूर है
है अब जवानी की दोपहरी तो सान्झ कितनी दूर है
इक बार सांझ हो गई तो रात भी घिर आयेगी
फिर लाख तूँ करना यत्न ये बात ना रह पायेगी
आँखों से कुछ दिखना नहीं फिर नैन लडने किस से है
मुँह में दाँत ही ना होंगें तो हंसके किसको दिखायेगी
बाल सब सफेद होंगे शायद झडने भी लगेंगे
फिर ये जाल जुल्फों का किस पे तूं फैलायेगी
ना उमंग कोई मन में होगी ना कशिश तेरे तन में होगी
किस से फिर होगा मिलन तू किस से मिलने जायेगी
इस लिये कहता हू मेरी मान कल पे टाल मत
ढूंढ हर जवाब मुझ में कर खुद से तू सवाल मत
जो मिला है आज वक्त हर रोज मिल पाता नहीं
कल का क्या है ये कभी आता कभी आता नहीं
कुदरत की दी सौगात का कर पूरा इस्तेमाल तू
यू भी ढल ही जायेगा हुस्न कितना भी संभाल तू
चाहने वालों की चाहत जो कोई ठुकराता है
ता उम्र चाहत के लिये फिर खुद भी तरस जाता है
है अब जवानी की दोपहरी तो सान्झ कितनी दूर है
इक बार सांझ हो गई तो रात भी घिर आयेगी
फिर लाख तूँ करना यत्न ये बात ना रह पायेगी
आँखों से कुछ दिखना नहीं फिर नैन लडने किस से है
मुँह में दाँत ही ना होंगें तो हंसके किसको दिखायेगी
बाल सब सफेद होंगे शायद झडने भी लगेंगे
फिर ये जाल जुल्फों का किस पे तूं फैलायेगी
ना उमंग कोई मन में होगी ना कशिश तेरे तन में होगी
किस से फिर होगा मिलन तू किस से मिलने जायेगी
इस लिये कहता हू मेरी मान कल पे टाल मत
ढूंढ हर जवाब मुझ में कर खुद से तू सवाल मत
जो मिला है आज वक्त हर रोज मिल पाता नहीं
कल का क्या है ये कभी आता कभी आता नहीं
कुदरत की दी सौगात का कर पूरा इस्तेमाल तू
यू भी ढल ही जायेगा हुस्न कितना भी संभाल तू
चाहने वालों की चाहत जो कोई ठुकराता है
ता उम्र चाहत के लिये फिर खुद भी तरस जाता है
5 comments:
बहुत ही बढ़िया कविता लगी ये शेर और भी अच्छा लगा
"जो मिला है आज वक्त हर रोज मिल पाता नहीं
कल का क्या है ये कभी आता कभी आता नहीं"
बढिया है ,आपको भी होली की शुभकामनाएं !!
रविन्दर प्रभात जी ,
धन्यवाद और आपको भी होली की बहुत बहुत शुभ कामनायें
एक अच्छी पोस्ट के सा्थ ,होली के अच्छे रंग बिखेरे हैं। होली मुबारक।
कुदरत की दी सौगात का कर पूरा इस्तेमाल तू
यू भी ढल ही जायेगा हुस्न कितना भी संभाल तू
चाहने वालों की चाहत जो कोई ठुकराता है
ता उम्र चाहत के लिये फिर खुद भी तरस जाता है
शुक्रिया परम्जीत बाली जी रचना को पसन्द करने के लिये होली की शुभ कामनायें
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